by Manjeet

महामारी के साथ जिंदगी

May 14, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी तो शुरू ही हुई थी मेरी उड़ान
पंख थे नए
बस चाहत थी ऊपर उड़ने की
कुछ करने की
मेहनत बना था जुनून
सफलता पाने की
तीर निकलने ही वाला था धनुष से यह कहानी है ताने के टूट जाने की।

अरमान थे बहुत
सपने थे पूरे करने
ये अनिश्चितता थी जिंदगी की
आने वाले दिन थे बुरे
वो दिन तो चले गए थे लेकिन
फिर अच्छे दिन में आ कर दी थी बुरी दस्तक
यह कहानी नहीं है सिर्फ मेरी
है हजारों लाखों की।

समय तो चल रहा था लेकिन किसी के साथ नहीं था
महामारी थी आन पड़ी
लोगों की जिंदगी दुख भरी
बीमारी से लड़ने का उपाय था ऐसा किसी के साथ नहीं हो सकता था उठना बैठना
अब तक नहीं लगी थी धनुष की रस्सी
जिंदगी बन गई थी घर के गुलामों सी।

by Manjeet

महामारी के साथ जिंदगी

May 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी तो शुरू ही हुई थी मेरी उड़ान
पंख थे नए
बस चाहत थी ऊपर उड़ने की कुछ करने का
महीना तो बना था जानू सफलता पानी के
3:00 निकलने ही वाला था धनुष से
यह कहानी है ताने की टूट जाने के यह कहानी है ताने के टूट जाने से
अरमान थे बहुत
सपने थे पूरे करने
यह निश्चित अच्छी जिंदगी की
शनिवार आने वाले दिन से बुरी
वह दिन तो चले गए थे
लेकिन फिर से अच्छे दिन में आ कर दी थी बुरी दस्तक
यह कहानी नहीं है सिर्फ मेरी हजारों लाखों के
समय तो चल रहा था लेकिन किसी के साथ में थे
महामारी की आन पड़ी लोगों की जिंदगी दुख भरी

by Manjeet

महामारी के साथ जिंदगी

May 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

अभी तो शुरू ही हुई थी मेरी उड़ान
पंख थे नए
बस चाहत थी ऊपर उड़ने की कुछ करने का
महीना तो बना था जानू सफलता पानी के
3:00 निकलने ही वाला था धनुष से
यह कहानी है ताने की टूट जाने के यह कहानी है ताने के टूट जाने से
अरमान थे बहुत
सपने थे पूरे करने
यह निश्चित अच्छी जिंदगी की
शनिवार आने वाले दिन से बुरी
वह दिन तो चले गए थे
लेकिन फिर से अच्छे दिन में आ कर दी थी बुरी दस्तक
यह कहानी नहीं है सिर्फ मेरी हजारों लाखों के
समय तो चल रहा था लेकिन किसी के साथ में थे
महामारी की आन पड़ी लोगों की जिंदगी दुख भरी

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