माँ की ममता

January 25, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ममता के मन्दिर की जो मूरत है,दिखने मे बड़ी भोली सूरत है उस माँ को प्रणाम, माँ के चरणों मे प्रणाम। सूना-सूना लगता हे उसके बिना घर-आँगन, खुद से भी ज्यादा करती हे अपनों का लालन-पालन । जब भी माथे पे हाथ फिरौते-फिरौते अपनी गोदी में सुलाती, मीठी-मीठी नींद मे सुलाने नींदया रानी आ जाती। जब भी बेखबर भूख लगती अपने हाथ का बना खाना अपने लाड़ले को अपने हाथों से खिलाती, स्वाद उसमे ममतामयी आता सरजीवन बूँटी लगती उसके हाथ की रोटी। जब भी घर से दूर निकलता वो दरवाजे पर रहती खड़ी-खड़ी ,जब पीछे मुड़कर देखता उसकी निगाहे लगती प्रेम रस से भरी-भरी। जब भी घर लौटता उसके होंटो पे मुस्कुराहटे सज जाती , उसकी वो प्यारी-प्यारी अदाऍ मन को बड़ी भाती। नहीं आताउसको किताबों के काले अक्षरों का उजला ज्ञान, पर पढ लेता मेरी अनकहीं बातो का किताबी चेहरा, उसकी ममता का विज्ञान

आओ मनाए मकर सक्रांति

January 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

आओ मनाए मकर सक्रांति, जीवन में लाए संस्कारों की क्रांति। सूरज देवता आए मकर राशि में, समय बड़ा बलवान जाने ना पाए बर्बादी में, स्नान ध्यान करें हम दान पुण्य, लोभ मोह क्रोध को कर दे हम खत्म, आओ मनाए मकर सक्रांति, जीवन में लाए संस्कारों की क्रांति। डाले गायों को चारा, आपस में बढ़ाएं भाईचारा, खेलें हम गिल्ली डंडा, मिटा दे आपस का लड़ना झगड़ना, आओ मनाए मकर सक्रांति, जीवन में लाएं संस्कारों की क्रांति। खाकर खिलाकर तिल के लड्डू, गले लग कर लगाकर दिल से दिल मिलाओ , मिटा ए अंधविश्वासों की क्रांति

मन में है असमंजस

January 2, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

मन में है असमंजस, नहीं आता कुछ समझ, जिस काम को करने पर मिले खुशी,ओंरो को मिले गम ,उस काम को करूं या ना करूं रहता यही असमंजस। मन में है असमंजस, घर पर हो रही अनबन, मेहमान आए उसी समय घर पर, क्या करें क्या ना करें रहता यही असमंजस। मन में ही असमंजस, उन्होंने बुलाया मिलने आ जाना, घरवालों ने कहा वहां पर मत जाना, क्या करूं क्या ना करूं रहता है यही असमंजस। मन में है असमंजस, बस बीते गए साल का मातम या नए साल की खुशी मनाए समझ नहीं आता यही है असमंजस

आया नया साल

December 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

आया नया साल ।
जीवन मेँ लायेँगे बहार,
मन मेँ गायेँगे मलहार,
दिल मेँ उमंग की करेँगे पुकार,
आया नया साल।

सपनोँ को करेँगे साकार,
समय को नहीं जाने देँगे बेकार,
संकट के सवालों का जवाब देँगे जोरदार,
आया नया साल ।

होंसलो की भरेँगे हुंकार,
हक के लिए लङेगे मगर नही करेँगे हाहाकार,
हमारे जोश की होगी जय-जयकार,
आया नया साल ।

बूराईयों का करेँगे उपचार,
अचछाईयों को नही होने देँगे बीमार,
तभी तो सफलता आने से नही करगी इनकार,
आया नया साल ।

नयी-नयी जानकारियों को जानेँगे बनेँगे जानकार,
कलाकारी से करेँगे काम बनेँगे कलाकार,
तभी तो मन में बजेगी मुरली की झनकार,
आया नया साल ।

KISAN

December 20, 2018 in Poetry on Picture Contest

DESH KI AAN,BAN,SHAN KISAN KITNA PRESHAN KHET KI JAN,PHCHAN,ARMAN KISAN KITNA PRESHAN MEHNT KI JUBAN,MUKAN,PRWAN KISAN KITNA PRESHAN FASAL KE NA MILE DAM MHGAI KI MAR PED PR LTKA JMI PR BIKHRE ARMAN KISAN KITNA PRSHAN

New Report

Close