by Savnit

(तुम भी आओगी ना)

December 18, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

पुराना साल जा रहा है
और नया साल आ रहा है
नए साल की तरह तुम भी आओगी ना
जिस तरह मैंने तुम्हें चाहा
तुम भी मुझे चाहोगी ना
भूल जाऊंगा सारी शिकायते
तुम्हारे आने पर, बस इतना बता दो
शिद्दत से नए साल पे गले लगाओगी ना
रोते है जिस तरह तेरी याद में,
तुम मत रोना इस तरह
बस ये बता दो मुझे रोते हुए चुप कराओगी ना
तुम भी आओगी ना
दिसम्बर में जागे है जज़्बात मेरे कुछ इस तरह
की सलवटे बताती है कि करवटों में बीती रात है
बताओ मेरे जज़्बातो को समझाओगी ना
तुम भी आओगी ना
नहीं आना तुम्हे तो कोई बात नही
मुझे अपने घर बुलाओगी ना
आ रहा है नया साल
तुम भी आओगी ना ।।

by Savnit

(सर्दी आई है)

December 13, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

गर्मी की छोटी बहन सर्दी आई है
लगता हैं इस बदलते मौसम ने मनुष्य को फटकार लगाई है
तभी तो सारे चुप है और हाथ मे मोबाइल है ।।1।।
सर्दी आई है और अपने साथ
ठंडी हवा कि फुहार लाई है,
बहुत से लोगो का इंतज़ार खत्म हो जाता है
और बड़ी सी प्याली में अदरक वाली चाय को पिया जाता है ।।2।।
मुझे भी इस मौसम में किसी की याद आई है
इस मौसम हरजाई ने उसके हाथ की कॉफी की तलब जगाई है,
आशिको ने चाय वालो की बिक्री बढाई है,
देखो देखो गर्मी की छोटी बहन सर्दी आई है ।।3।।
ओस की बूंदों का पहरा है फसलो पर
कोहरे के पहरा है सड़को पर
इश्क़ का पहरा है दिल पर,
यह सर्दिया किसी के लिए दुख
तो किसी के लिए खुशियां लायी है,
देखों देखो गर्मियों की छोटी बहन सर्दिया आई है।।4।।

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