by Pokaran

जीवन

November 29, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जीवन जीने की कला
सीख लो जग से
सब कुछ मिल जाएगा यहाँ
बिना किसी मौल के
अपना बनाना है तो
सरल ह्रदय बन
लोगों से मिल
स्नेह और विश्वास
बाँट दे सब में
अपने पराये से दूर
सबके दिलों का मेल कर
फिर देख
दुनिया कितनी खूबसूरत है
बस आजमाने का ढ़ंग हो
जी तो लेते होंगे
हर कोई
पर
अपनों के पास रह
न गैर से दूर ।

डॅा० जयपाल

by Pokaran

इंसान

November 21, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

यूँ तो चला है चाँद पर घर बसाने के लिए
पर ढंग से धरती पर जी पाया है क्या आदमी
ज्ञानी ,ध्यानी दानी और संस्कारी भी बना
पर इंसान बन पाया है क्या आदमी .

by Pokaran

मां तेरा तो बच्चा हूँ

November 19, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

घुटनों के बल सरक सरक
कब पैरों से चलना सीखा
तेरे आँचल की ओट में
न जाने कब बड़ा हुआ
तेरे हाथों की नरमाई
जीने का मतलब सीखा
पर
मैं जहाँ भी जाता हूँ
तेरी परछाई बन जाता हूँ
वही सीधा सादा भोला भाला
नन्हा सा बच्चा हूँ
कितना भी बन जाऊ बड़ा
माँ तेरा तो बच्चा हूँ .

by Pokaran

जान

November 17, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

फूलों से कोमल
मासूम सी जान
क्यों कर
चुभती है उन्हें
जो
न आने देना चाहते है
कभी जमीं पर .
डा .जी .एल.जयपाल

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