Praveen Rakesh
desh
March 9, 2016 in शेर-ओ-शायरी
ब्रह्मा-ऋषि-मुनि-चरक का तो ये देश हो सकता नहीं ,,
क्यूँ बताते हो डॉक्टर पेट में बेटी है बेटा नहीं ..!!
HINDU MUSLIM ROTI
March 3, 2016 in शेर-ओ-शायरी
मुस्लमान बनके बांटो या हिन्दू होके बांटो ,,
पर दोस्त ,
केवल रोटी के ही टुकड़े हर घर में बांटो ……!!
………………………………………….~~**चंद्रहास**~~
समस्या
February 28, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
#देश_में_विधवाओं_का_ये_कैसा_हो_रहा_सम्मान_है ,,
#लाखो_माएं_बेघर_और_बच्चे_अनाथ_है ,,
#द्वारिकाधीश_तेरी_नगरी_में_एक_गंभीर_समस्या_है ,,
#तेरी_गोपियाँ_कलियुग_में_हो_गयी_विधवा_है ………!!
……………………………………………~~**#चंद्रहास**~~
शेर
February 27, 2016 in शेर-ओ-शायरी
चंद मुट्ठी भर तुफान से लड़ेंगे , शायद अंदाज़ा नहीं ,,
इन्हें ताकत मोमबत्तियां लिए हजारों हाथ की ….!!
…………….~~**#चंद्रहास**~~
हम मर्दों की ख़ास निशानी होती है
February 27, 2016 in शेर-ओ-शायरी
- हम मर्दों की ख़ास निशानी होती है ,,
हसीं चेहरा देखा नहीं की नियत फिसल जानी होती है …………..!! - चलते चलते निगाहों में बात बन जाती है ,,
कमबख्त ये गलतफ़हमीयां दूर होते ही उम्मीदे टूट जाती है ……….!! - सारी खुशफहमियाँ रात सपनो में ही आती है ,,
दूर दूर सपना है पर दिन में ये कल्पना बिखर जाती है ………….!! - हो मेरा भी कोई ,,, अरमाने यूँ आवाज़ देती है ,,
की दिल तो परोसे बैठे हो पर सौदेबाजी क्यूँ नहीं आती है ??……………!! - कैसे समझाए अब हाल इस आशिकी का ,,
खामोश होकर भी ये मदहोश रातें बेचैन कर जाती है …………….!! - अजमा ले खुदको भी बड़ा शिकारी समझ कर ,,
मालूम तो चलेगा कितना अचूक है तेरा भी निशाना हुस्न पर …………..!! - उल्टा चलना रहो पे बदस्तूर आज भी जारी है ,,
उस काफ़िर के लिए जिसके न होने पर अकेला बिस्तर भारी है ………….!! - जज्बातों की टोकरी इतनी तब भर जाती है ,,
जब काले लंगूर के साथ एक कमसीन हसीना नज़र मुझको आती है ………….!!समझो #चन्द्र अपनी अपनी पसंद का मामला है ,,
जब खुदा मेहरबान तो गधा भी पहलवान नज़र आता है ………………………….!! - ……………………………………………………………….~~**#चंद्रहास**~~
नहीं जाता
February 27, 2016 in ग़ज़ल
हर मुसीबत को न्योता दिया नहीं जाता ,,
जरुरत न पड़े तब तक सर ओखली में नहीं जाता …..!!
सम्मान लौटा रहे हो तो वो पूछेंगे नहीं ,,जिनसे
नेताओं के बदजुबानी का सवाल पुछा नहीं जाता …..!!
विशेष राज्य का दर्जा चुनावी मुद्दा कहाँ है ??
मियां बाहर का कूड़ा घर के अन्दर लाया नहीं जाता …….!!
माँ का अंचल मेरे लिए घर जैसा है ,,
जहाँ महफूज़ हूँ जबतक कोई खींच के ले नहीं जाता …..!!
इंसानी फितरत है दगाबाजों से बचो ,,
मुसीबत नहीं आती जबतक पाव चादर के बाहर नहीं जाता ……..!!
मुकम्मल जहाँ के तलाश में लोग जन्नत तक पहुचे ,,
इंसानी होड़ है वरना चाँद और मंगल तक कौन जाता ……..!!
आजकल हर जगह दौड़ है आखिर चले किधर ,,
जिनकी इंसानी चमड़ी से गिरगिट का रंग नहीं जाता …….!!
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