बस एक बार फिर …

February 20, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जॅंहा बचपन गुजारा ,
उन गलि‍यों में जाना चाहती हूं ;
जि‍न्होनें बचपन सॅंवारा,
उन पत्थरों से खेलना चाहती हूं ;
आलीशान बगांले को छोड़कर,
मम्मी की साड़ी से बने घर में रहना चाहती हॅू ;
ब्रांडेड चाकॅलेट छोड़कर,
सतंरी टॉफी और खट्टे – मीठे चुरन का मज़ा लेना चाहती हॅू ;
कि‍ताबों को छोड़कर गेंद थमाना चा‍हती हॅू ,
एक शरारत करना चाहती हॅू ,
वक्त के पहि‍ये को उल्टा घुमना चाहती हॅू ;
बस एक बार फि‍र बचपन जीना चाहती हॅू ,
बचपन जीना चाहती हॅू |