माँ

August 9, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

‘ माँ ’

माँ को खोकर हुआ माँ की ममता का एहसास,
पाना चाहा था माँ को और प्रतिबिम्बों में,
पर कहीं नहीं मिला माँ का दुलारता हाथ,
वो लोरियाँ, वो प्यार भरी थपकियाँ,
वो उलाहने, वो डाँटना फिर पुचकारना |

बेटी को पाकर माँ और ज्यादा याद आती है,
उसकी एक-एक बातें बचपन को दोहराती हैं,
मेरी भीगी पलकों को देख उसका परेशान होना,
क्या कहूँ उससे एक माँ को है एक माँ की तलाश |

-सन्ध्या गोलछा