by Shivam

तब आना तुम

December 15, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

तब आना तुम,
जब हिना का रंग कई दफा
चढ कर उतर जाए।
जब अपने बच्चे की खातिर
अबला वात्सल्य प्रेम में बिखर जाए
तब आना तुम,
जब मेरे जुनून जर्जर हो जाए और
मेरे पास बहुत कुछ हो,
दिखलाने को,
बतलाने को,
समझाने को,
तब आना तुम
जब हमारे बीच की खामोशी को
इक उम्र हो जाए,
और ये सफेद इश्क़ भी
अपने इम्तिहान से शर्मसार हो जाए।
तब आना तुम।
जब आना तुम,
आकर लिपट जाना
जैसे चंद लम्हे पहले ही मिले हो।
हवा के रूख की परवाह किए बिना
सांसों को छू लेना
और इस शाश्वत प्रेम को
दिवा की रोशनी में दर्ज करा देना।

by Shivam

unhe shoukh hai

October 13, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

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