।।संगित।

July 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

।।संगित।।
संगीत चलरहा है, हवा ओ मे
गजल गुंन गुना रही है फिजा घटाओ
संगीत चलरहा है हवा ओ मे
जी से सुनाई दे, वो सुनके मेहसूस करे खुशी ।
जो नही सुनपाए वो खुशियो से रहे परे, संगीत चलरहा है हवा ओ मे। गजल गुंन गुना ती हुइ फिजा मे अजीब सी मेहेक है,
एसे मौसम मे , केसे सभाले हम इस दिल को बेहक ने से,
बैहका बैहका सा है मन
संगित सज रहा है एसे जेसे सज रही हो दुल्हन इन
इन्ह बतो से मेहैक उठा है सारा मधूबन।।, संगीत चलरहा है हवा ओ मे गजल गुंन गुना रही है फिजा घटाओ मे संगीत चलरहा है हवा ओ मे ।।।।

।।संगित।

July 4, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

।।संगित।।
संगीत चलरहा है, हवा ओ मे
गजल गुंन गुना रही है फिजा घटाओ
संगीत चलरहा है हवा ओ मे
जी से सुनाई दे, वो सुनके मेहसूस करे खुशी ।
जो नही सुनपाए वो खुशियो से रहे परे, संगीत चलरहा है हवा ओ मे। गजल गुंन गुना ती हुइ फिजा मे अजीब सी मेहेक है,
एसे मौसम मे , केसे सभाले हम इस दिल को बेहक ने से,
बैहका बैहका सा है मन
संगित सज रहा है एसे जेसे सज रही हो दुल्हन इन
इन्ह बतो से मेहैक उठा है सारा मधूबन।।, संगीत चलरहा है हवा ओ मे गजल गुंन गुना रही है फिजा घटाओ मे संगीत चलरहा है हवा ओ मे ।।।।

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