जिंदगी

July 9, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसे समझाएं तुम्हें कि हम कोई
झुंड नहीं है मवेशियों के
कैसे यकीन दिलाएं तुम्हें कि
हमारे भी कई ख्वाब हैं
छोटी-छोटी ख्वाहिशें हैं
जिन्हें हम भूल नहीं सकते

तुम हमारे जीवन में
आते हो आंधी की तरह
और बिखेर देते हो हमें
रेत के घरों के की तरह
इस बिखरी रेत को अब
इकट्टा तो कर लेने दो
जिंदगी को फिर
नये सिरे से जी लेने दो

तलाश

May 27, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

आज सिर्फ माँ की याद रह गयी है, उसके हाथ नहीं ।
न जाने,
मैं किसकी तलाश में इस शहर आया था… ।

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