गीत-ये मत सोंचो

May 30, 2016 in गीत

ये मत सोंचो

एक कलम के बूते पर मैं दुनिया रोज बदलता हूँ ।
ये मत सोंचो कवि हूँ मैं तो बस कविता कर सकता हूँ ।।

ठेले पर सपनो की दुनिया, लेकर चलने वाला हूँ ।
मैं सूरज के साथ गगन के, पार निकलने वाला हूँ ।
सागर को तो एक घूँट में, पीने का दम रखता हूँ….
ये मत सोंचो कवि हूँ मैं तो, बस कविता कर सकता हूँ ..।।

मेरी कलम सितारों को भी, आँख दिखाती चलती है ,
दिल के पन्नों के भीतर भी, एक नदी सी पलती है ।
चिंगारी लेकर आँखों में, खुद भी बहुत झुलसता हूँ…
ये मत सोंचो………….।।

रोज इरादों की रेतीली, मिट्टी को चुनता रहता ,
बीज नई आशाओं वाले, मन ही मन बुनता रहता ।
मैं अतीत का व्यापारी हूँ, कल की खेती करता हूँ……
ये मत सोंचो……..।।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’

मनहरण घनाक्षरी

May 30, 2016 in Other

मनहरण घनाक्षरी

रण में लड़े जो सदा, शत्रुओं से डरे बिना
वीरों में भी वीर ऐसे राणा अति वीर थे ।
धर्म देश जाति नीति, का सदैव मान रखे
त्याग तप ज्ञान बुद्धि, की बड़ी नज़ीर थे ।
शत्रु हेतु रूद्र रूप, काल से कराल अति,
सुजन प्रजानु हेतु, मलय समीर थे ।
आन बान शान हेतु, राष्ट्र स्वाभिमान हेतु
सूर्य से भी तेजवान, राणा सूरवीर रणधीर थे ।।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’

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