Subhash Rahat Barelvi
गजल
May 18, 2016 in ग़ज़ल
⚛⚛एक नाकाम कोशिश ⚛⚛
सही राह सबको बताकर तो देखो
यतीमों को अपना बनाकर तो देखो
बहू को जलाया है दौलत की खातिर
कभी आग खुद को लगाकर तो देखो
मिलेंगी दुआएँ भी उनकी हजारों
के भूखे को रोटी खिलाकर तो देखो
अगर करना चाहो, कभी यह भी करना
गरीबों के बच्चे पढ़ाकर तो देखो
बहुत जी लिये रोज अपनों की खातिर
वतन के लिये जाँ गवाँकर तो देखो
ये माना के यारों मुहब्बत सजा है
सजा का मजा, दिल लगाकर तो देखो
दिया गर जलाओ जो मस्जिद में ‘राहत’
उजाला किसी घर में लाकर तो देखो
सुभाष *राहत बरेलवी*
जय हिन्द जय भारत
09456988483