हो तुम कहाँ

October 15, 2019 in गीत

बारिश कि बूंदे
दिल का ऐ आलम
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ
फूलों की डाली,भवरों का मंडर
महकती ये वादी,सावन की ये हरियाली
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ

खींचा चला जा रहा हूँ तेरी खुशबू पर
तुम हो जाने कहाँ किस मोड़ पर
लिपट के तेरी जूल्फों से आज मैं खेलूँगा
भीगी पलकों से काजल चूराऊंगा
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ

मुश्किलें हैं इस कदर क्या मैं बयां करू
दिल मेरा तरसे तुम्हें देखने को आंहे भरू
निगांहे तरकश गई है तुम्हें देखने को
अब आ भी जाओ वफा की है तुम से
हो तुम कहाँ..हो तुम कहाँ