January 26, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

जिसकी आँख की सर्दी मुझे माकूल करती है
उसीकी आँख की नर्मी मुझे मकबूल करती है
पता है उसको कि ये मुमकिन नही लेकिन
न जाने क्यो मुझ से वो अभी तक प्यार करती है