Shikva
है लाख सितम ढाहे, ऐ जिंदगी,
शिकवा करूं मैं किससे किससे,
मिलता नहीं सभी को जन्नत,
सुख दुख दो पहलू हैं जिंदगी के,
है आरजू पाने की जन्नत
तो पार कर लेते हैं आग का दरिया,
न कर भरोसा नसीब का,
जाने कब किसी को दे देती है धोखा,
मेहनत ही सच्चा साथी है
जो हर पल निभाता साथ है तेरा,
मिल जाती है अपनी मंजिल,
गर मेहनत हो सच्चा सच्चा |
Nice
Thanks
सुन्दर रचना
Thanks
गजब
Thanks
Good
Thanks
Nice
Thanks
Sundar
बहुत सुन्दर रचना।