“हद” #2Liner-64…..
ღღ__कभी फुरसत मिले जो ‘साहब’, तो पूरी ये अहद कर दो; . कुछ इस हद तक मुझे चाहो, कि बस “हद” कर दो !!…..#अक्स .
ღღ__कभी फुरसत मिले जो ‘साहब’, तो पूरी ये अहद कर दो; . कुछ इस हद तक मुझे चाहो, कि बस “हद” कर दो !!…..#अक्स .
ღღ___बहुत सुना था ऐ इश्क़, तेरे बारे में लोगों से; . देख सांसों की ज़मानत पे, मैं तुझसे मिलने आया हूँ !!…..#अक्स .
ღღ__मैं कह ही नहीं पाता, या तुम समझ नहीं पाते साहब; . कि अक्सर कुछ सवालों के, कोई जवाब नहीं होते !!…..#अक्स .
ღღ__इसमें कोई शक नहीं, कि तुम सबसे जुदा थे “साहब”; . मगर ऐसा भी क्या जुदा होना, कि हमसे ही जुदा रहो!!…..#अक्स .
ღღ__तू गर नाराज़ है मुझसे, तो रह, खुदा करे; . मैं भी चाहता हूँ मेरे हक़ में, कोई बद्दुआ करे!!……#अक्स .
ღღ__इबादतगाह भी जाऊं तो, तुझे ही ढूँढती हैं नज़रें; . शौक-ए-दीदार ने तेरे, मुझे काफ़िर बना दिया !!…..#अक्स .
ღღ__आखिर इसमें उनकी, खता भी क्या है साहब; . जब मोम सा दिल रखोगे, तो दुनिया जलाएगी !!……#अक्स .
सुनते हो साहब, मोहब्बत गुज़र रही है अपनी; . ღღ__मैंने देखा था उसे, तेरे साथ जाते हुए !!….#अक्स .
ღღ__वो इक पल जिसमें तुम्हारे लब हों, मेरे लबों के पास; . उस वक़्त भी हम रहें शरीफ?? “तौबा साहब, तौबा” !!…..#अक्स .
ღღ__यूँ तो अरसा हुआ है साहब, तुमसे गले मिले हुए; . पर जिस्म मेरा आज भी, इत्र-सा महकता है !!……#अक्स .
लो आ ही गयी साहब, उनकी याद, आज फिर आखिर; . और वो आज फिर नहीं आये, इतने इंतज़ार के बाद !!…..#अक्स
ღღ__आँखों को ख्वाब की, इस कदर भूख है साहब; . जैसे लगता है ख्वाब में, “तुम” आ ही जाओगे!!…..#अक्स .
तसव्वुर में तेरे, अब तो कटती नहीं रातें; . आखिर तेरे इंतज़ार की, कोई इन्तेहा तो हो!!….#अक्स
ढूंढने से ही मिलता है, पर रस्ता ज़रूर होता है; जो महँगा होता है कभी, वो सस्ता ज़रूर होता है!!…..#अक्स
ღღ__ख्वाहिश है इश्क की, और वो भी सुकून के साथ; . तुम भी ना साहब, कभी-2 अच्छा मजाक करते हो !!……#अक्स .
ღღ__दिल तो करता है कभी-2, तेरी यादों को ज़हर दे दूँ साहब; . फिर सोंचता हूँ, भला ये भी, कोई उम्र है ख़ुदकुशी करने की!!….#अक्स…
ღღ__अक्सर खुद ही खुद से बाज़ियॉं, खेलता रहा साहब; . डर तो अब लगता है, जब खुद को हार बैठा हूँ !!…..#अक्स .
ღღ__कशिश आज भी वही है, और शिद्दत भी वही है “साहब”; . महज़ ख्वहिशों का तेरी, “अक्स” बदला हुआ सा लगता है!!……#अक्स .
ღღ__आज भी तुमको, झूठ बोलना नहीं आता “साहब”; . कि ठीक होने में, और कहने में बहुत फर्क होता है!!……#अक्स .
ღღ__सज़ा में एक ही लफ्ज़ है, तेरे हर इक गुनाह का मेरे पास; . कि तुम इतने मासूम हो साहब, जाओ “माफ” किया तुम्हें!!……#अक्स .…
ღღ__मेरे होंठों पे आज भी, कायम है तेरी खुशबू; . इनपे भला शराब का, अब असर कहाँ होगा !!…….#अक्स .
ღღ__कब तलक भटकोगे आखिर, महज़ सुकून की तलाश में; . ये वो शै है “साहब”, जो शायद तेरे नसीब में ही नहीं !!……#अक्स .
ღღ__आरजू मौत की नहीं लेकिन, अब जी के भी क्या करना है; . ज़िन्दगी जी भर के यूँ जी है, कि अब ‘जी’ भर गया…
ღღ__मौत को भी आखिर, गुमराह कब तलक करते; . ज़िन्दगी छोड़ दी हमने, हर लम्हा तुम्हारा करके !!…….#अक्स
ღღ___हाँ ये सच है की हम जागेंगे, उम्र-भर तन्हा तेरे बगैर; . मगर नींद तुझको भी नहीं आएगी, किसी और की बाँहों में!!…..#अक्स .
ღღ___अब ये कैसे कह दूँ “साहब”, कि खुशनसीब नहीं हूँ मैं; . आखिर एक अरसे से उसको अपना, नसीब कहता रहा हूँ मैं !!…. #अक्स
ღღ___कोई ताबीज़ आता हो, तो पहना दो मुझको “साहब”; . तुम्हारे इश्क़ का जूनून, अब सर से उतर रहा है !!…….#अक्स .
ღღ___मैं हँस रहा था जिस लम्हे में, बस अभी-2 तो गुज़रा है; . और लोगों से सुना है, गुज़रा हुआ वापस नहीं आता !!……#अक्स .…
ღღ__तुमने रोका है इनको “साहब”, या हम भूलने लगे हैं अब; . कि अब ख्याल भी तेरे, हमसे मिलने नहीं आते !!………#अक्स
ღღ___कुछ इस तरह से आकर, गम लिपट रहे हैं मुझसे; . कि जैसे हर एक दरिया, समन्दर से जाके मिलता है!!……#अक्स
ღღ__ज़रा देखो तो निकल के “साहब”, अब तक वो आए क्यूँ नहीं; . कहीं ऐसा तो नहीं रस्तों नें, उन्हें गुमराह कर दिया !!……..#अक्स
ღღ__अक्सर भीग उठती हैं “साहब”, पलकें तेरी नज़र-अन्दाज़ी से; . निगाह-ए-इश्क़ पे कोई फ़र्क, ज़माने का नहीं पड़ता !!………#अक्स
ღღ__ना जाने कैसे तुझको, “बे-हद” चाह बैठा “साहब”; . ये दिल जो अक्सर मुझको, मेरी “हद” बताता था !!………#अक्स
ღღ__नज़रों को इंतज़ार की, सजाएँ इतनी भी ना दो “साहब”; . ये बारिशें बिन मौसम की, हमसे अब देखी नहीं जाती !!…….#अक्स
ღღ__आगाज़ तो इस बरस का, लाजवाब हुआ है “साहब”; . बस यही अन्दाज़, मेरे अन्जाम तक बनाये रखना !!……#अक्स . समस्त मित्रों एवं शुभचिंतकों को…
ღღ__दूर आप जा रहे हो ‘साहब’, या फिर ये दिसम्बर; . कोई भी दूर जाये हमसे, ये देखा नहीं जाता !!…….#अक्स
कुछ तो खता तुम्हारी, बेशुमार यादों की है ‘साहब’; . ღღ___यूँ ही बे-सबब कोई, आवारा नहीं होता !!…….#अक्स
ღღ__इक उम्र गुज़ारी है आशिक़ी में, तो जाना है; . कुछ नहीं मिलता, इसमें इक आवारगी के सिवा !!……..#अक्स
ღღ__बाकी हैं चन्द साँसें अब, बेज़ार से दिसम्बर की; . एक नए दिन की तलाश में, पूरा साल ही जा रहा है !!…….#अक्स
ღღ__माफ़ करना पर आज, कोई शायरी नहीं है “साहब”; . कि रिश्तों की ठंड में, लफ्ज़ भी जम गये मेरे !!……..#अक्स
ღღ__मेरे गुनाह-ए-इश्क़ का, कोई फैसला तो सुना दो “साहब” . इस दिल को समझाने में, कुछ वक़्त भी तो लगता है!!…..#अक्स
ღღ__जो तुम कर रहे हो “साहब”, सितम की इन्तहा नहीं तो क्या है; . कि दूर भी जा रहे हो मुझसे, वो भी ज़रा-ज़रा कर…
ღღ__भला और क्या दूँ तुझको, सुबूत अपनी वफ़ा का मैं; . कि ख़ुद का भी ना हुआ हूँ, जबसे तेरा हुआ हूँ मैं !!…….#अक्स
ღღ__शायद ये आँखें मूँद लेने का, सही वक़्त है “साहब”; . कि रोज़ ख्वाहिशों का मरना, हमसे अब देखा नहीं जाता !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ये सर्दियों का मौसम, और ये तन्हाईयों का आलम; . कहीं जान ही ना ले-ले, इनसे मिलके बेबसी मेरी !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ღღ__इस कदर भी याद, ना आया करो “साहब”; . मेरी खुशियों की नींद में, खलल पड़ता है !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
ღღ___तुझको पाने की कोशिश भी, तू जो कह दे तो ना करूँ; . पर पाने की आरजू रखना, तो कोई गुनाह नहीं !!………#अक्स
ღღ__कुछ इस तरह से लिक्खा है, उस ख़ुदा ने मेरा नसीब; . कि मैं तो सबका हो जाऊंगा “साहब”, कोई मेरा नहीं होगा !!…….#अक्स
ღღ__वो तो लालच है उनके ख्वाबों का, जो हमें सुला देता है “साहब”; . वरना नींदें तो उनकी यादों ने, एक अरसे से उड़ा रक्खी…
ღღ__हमको सताने के मौके, वो छोड़ते नहीं हैं “साहब”; . कल ख़्वाब में भी आए, तो अजनबी बनकर !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
Please confirm you want to block this member.
You will no longer be able to:
Please note: This action will also remove this member from your connections and send a report to the site admin. Please allow a few minutes for this process to complete.