अधूरे हैं

तुम्हारे होंठों की सरगम बिन
मेरे गीत अधूरे हैं।
मेरी नजरों से रहते दूर तुम
मेरे प्रीत अधूरे हैं।
तुम्हें खोकर सारी दुनिया जीतूँ
मेरे जीत अधूरे हैं।
‘विनयचंद ‘ वफा के बिन
मनमीत अधूरे हैं।।

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