उम्मीद
उम्मीद की किरण जगमग आई है,
आज फिर याद मुझे तेरी ओर लाई है।
जमाने की तपिश,
जिम्मेदारियों का बोझ..
सहते -सहते दबी राख सुगबुगाई है।
तपती मनस्थली पर स्नेह की बूंदे छलकी,
सूखी धरती पर बदली छाई है।
फिर एक उम्मीद मुझे तेरी और लाई है।
झंझावात तूफानों से घिरी थी जिंदगी,
प्रेम रस में नहाने आई है।
आज फिर उम्मीद मुझे तेरी ओर लाई है।
दिखावटी, अनमनी, अजनबी सी थी कुछ,
जिंदगी फिर से मुस्कुराई है।
फिर एक उम्मीद मुझे तेरी ओर लाई है।
इत्तेफाकन ही सही,रूह रूह से टकराई है,
नैनो को नैनो ने दिल की बोली समझाई है।
फिर एक उम्मीद मुझे तेरी और लाई है।
निमिषा सिंघल
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - April 9, 2020, 6:59 am
Nice
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:39 pm
Thank you
Dhruv kumar - April 9, 2020, 10:02 am
Nyc
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:39 pm
🌺🌺🌺🌺
Priya Choudhary - April 9, 2020, 11:45 am
Nice
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:39 pm
💞💞
Pragya Shukla - April 9, 2020, 11:49 am
Good
NIMISHA SINGHAL - April 14, 2020, 2:39 pm
💞💞🌺🌺
Abhishek kumar - May 10, 2020, 10:48 pm
गुड