खेल रंग वाला
सजनी है गौर और
सजना क्यों काला?
आओ हम खेलें
खेल रंग रंग वाला।
लाल से रंग दो
हरे से रंग दो।
नीला और पीला
गुलाबी से रंग दो।
रंग डालो अज बेनीआहपीनाला।
आओ हम खेलें खेल रंग वाला।।
तन को रंगो सब दिलवर के रंग से।
मन को रंगो आज प्रेम के रंग से।।
विनयचंद मिटा दे भाव नफरत वाला।
आओ हम खेलें खेल रंग वाला।।
Wah
Good poem
Sunder Rachana
bahut Sundar
Nice
Nice
Nice
बहुत खूब