गीत – वो मुस्कुरा रहे है |
गीत – वो मुस्कुरा रहे है |
दिल तोड़कर है मेरा नाजो अदा वो मुस्कुरा रहे है |
गिरा कर है घर मेरा अपना घर वो बसा रहे है |
बड़ा ही हसीन गुल था वो मेरे गुलिस्ताँ का |
उजाड़ कर है बाग मेरा गैरो वो महका रहे है |
खाया जख्म ऐसा फिर हम संभल न पाये |
थाम गैर बाहे मेरे जख्मो नमक वो लगा रहे है |
पुछा मैंने आप आए नही कल रात कहा थे |
इसकी इतनी जुर्रत मुझको फांसी वो चढ़ा रहे है |
मिलेगी इश्क मे ऐसी सजा मैंने सोचा हि नहीं |
मेरे दिल ए नादा को खंजर वो दिखा रहे है |
तुम ही तुम हो मंजिल मेरी कहते थे जो मुझे |
छोड़कर मुझको तन्हा देखो चले वो जा रहे है |
दगा देना था मुझको दिल लगाया ही क्यों था |
आता नही है दिल लगाना मुझको वो सीखा रहे है |
दिल तोड़कर है मेरा नाजो अदा वो मुस्कुरा रहे है |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -995550928
बहुत सुंदर गीत
haardik aabhaar
मनोभावों को व्यक्त करती हुई बहुत सुंदर कविता
haardik aabhaar
शानदार लिखा है
haardik aabhaar apka sandeep kala ji
बहुत खूब
dhanywaad