Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Ankit Bhadouria
A CA student by studies, A poet by passion, A teacher by hobby and a guide by nature. Simply I am, what I am !!
:- "AkS"
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हम भी रोये नहीं मुद्दतें हो गयीं। पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं। जबसे बेताज वह बादशाह बन गया, पगड़ियों पर बुरी नीयतें हो गयीं।…
आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी
हंसी ख़ुशी कहीं ,गम की वादियों में खो गयी आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी दूसरों की सफलता पर ,जो बजती थी तालियाँ…
होली, रुत पर छा गयी है
होली, रुत पर छा गयी। मस्तों की टोली आ गयी।। लाज़ शरम तुम छोड़ो। आज मुख मत मोड़ो।। दिल को दिल से जोड़ो। झूम कर…
निगाहों में आ गयीं
शाम फिर खिसक कर, निगाहों में आ गयी बांते कुछ उभरकर, आंखों में छा गयीं अब रात हो रही है, मैं कहाँ ही अकेला हूँ…
उसके चेहरे से …
उसके चेहरे से नजर हे कि हटती नहींवो जो मिल जाये अगर चहकती कहीं जिन्दगी मायूस थी आज वो महका गयीजेसे गुलशन में कोई कली…
kya baat…bahut khoob!
thaaaaanq uuuu bhai!!
Good