जेष्ठ की तपती धूप
जेष्ठ की तपती धूप में, एक माँ अपने छह महीने के बेटे को अपनी पीठ में बांध कर मजदूरी कर रही थी। बच्चा भूख व गर्मी से तड़प रहा था। वह जोर जोर से चिल्ला रहा था। वहाँ के मुंशी जी का कहना था कि,कोई मजदूर मेरे मौजूदगी में अगर बैठा पाया गया तो ,उसकी उस दिन की हाजरी काट दिया जाएगा। यही सोच कर माँ अपने बच्चे को दूध पिलाने में असमर्थ थी। वह बच्चा रो रो कर व्याकुल था। बच्चे की तड़प और पसीने से भीगी दुखियारी माँ की हालत मुझ से देखी नहीं गयी। मैं उसके करीब जा कर कहा –“कैसी है आप। काम तो होता रहेगा। कम से कम बच्चे को एक मर्तबा दूध तो पिला दीजिए “। माँ –“बेटा। मेरी आज की हाजरी मुंशी जी से कैसे कटवाउं? यदि ऐसा आज हो गया तो मैं अपने बीमार पति के दवा कहाँ से लाऊंगी। वह अस्पताल में दवाई के बगैर आखरी सांसे गिन रहा है”।उस माँ की इतनी बातें सुन कर मेरी आँखें भर आयी। मै उन्हें दस हजार रुपये देते हुए कहा—“माँ जी। यह पैसों से आप अपने पति का इलाज करा ले। ताकि,
कभी भी आप अपने पति के इलाज के लिए जेष्ठ की तपती धूप में अपने बच्चे को दूध पिलाने मे असमर्थ न हो। ” इतना कह कर वहाँ से मै चल पड़ा। रास्ते में मैं यही सोचता रहा कि, इस माया के संसार में कितने गम है????
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - May 25, 2020, 4:13 pm
Nice
महेश गुप्ता जौनपुरी - May 25, 2020, 5:48 pm
वाह बहुत सुंदर
Pragya Shukla - May 25, 2020, 8:48 pm
मार्मिक
Abhishek kumar - May 26, 2020, 9:13 am
Good
Abhishek kumar - May 26, 2020, 9:13 am
सुन्दर
Satish Pandey - July 31, 2020, 1:09 pm
nice
Satish Pandey - July 31, 2020, 1:10 pm
bahut sundar