तिरंगा

नहीं तिरंगा मात्र ध्वजा ये जय का उदघोष भी है
अमर शहीदों का प्रतीक बिस्मिल,भगत,बोस भी है

उत्साह रगों में भरता यह क़ुरबानी को तत्पर करता
हर देशभक्त हर राष्ट्रभक्त इस पर जीता इस पर मरता

जिससे रंग चुराकर प्रकृति माता का श्रृंगार करे
मान बढ़ाता वीरों का ये नित उनका सत्कार करे

धर्म क्रांति सद्भाव प्रेरणा का देता सन्देश हमें
प्राण न्योछवर करने का देता ये उद्देश्य तुम्हें

यह पटेल का साहस है और ये भगत की क़ुरबानी
स्वाभिमान राणा का इसमें है इसमें झांसीरानी

यह अखण्ड भारत है अपना यह ही हल्दीघाटी है
यह वीरों की अमर ज्योति है यह उनकी परिपाटी है

यह घाटी की गूंज है घायल सेना की हुंकार है ये
बर्बादी के नारों के जीवन पर भी धिक्कार है

जीने का अधिकार है तो प्राणों की आहुति है ये
है स्वतन्त्र बंधन भक्ति का धर्मचक्र की गति है ये⁠⁠⁠⁠

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