Categories: मुक्तक
Tags: संपादक की पसंद
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
अच्छा
जी पंडित जी
nice message
धन्यवाद जी
धूम्रपान निषेध का जन सन्देश
धन्यवाद
Good massage 👏
सादर आभार
अतिसुन्दर जनसंदेश
आज ऐसी कविताओं की जरूरत है
धन्यवाद जी
Bahut Achcha Sandesh
Dhanyvad
धूम्रपान निषेध, good
ji
Waah
🙏💐
यह भी saavaan की ओर से सुंदर संदेश माना जायेगा, जय हो
सादर धन्यवाद
👌
jay ho
Very true