नभ चढ़ने दो

कागज का टुकड़ा बना पतंग
उड़ना चाहे नील गगन में।
हम पंछी का जीवन क्योंकर
डाल रहे हो पिंजर बन्ध में।।
पतंड उड़ाने के शौकीनों
मुझको भी तो उड़ने दो।
मेरे भी हैं कुछ अरमान
‘विनयचंद ‘नभ चढ़ने दो।।

Related Articles

चलो पतंग उड़ाएं

चलो पतंग उड़ाएं लूट लें, काट लें पतंग उनकी सभी रंगीनियां अपनी बनायें चलो पतंग उड़ाएं चलो पतंग उड़ाएं। उनके चेहरे की खुशियों को चुराकर…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

O nil gagan ke saudagar

ओ नील गगन के सौदागर,, हवा में उड़ना तेरी फितरत है, मुझे भी अपनी पंख दे दे पंछी , मैं भी ऊरु उस नील गगन…

Responses

+

New Report

Close