नाम सुमिरन का बल बड़ा तगड़ा है
घर से तू बाहर न निकलो जनाब
हर गली में कोरोना का पहरा है।
हाथ धोओ रे साबुन से बारम्बार
हर गली में कोरोना का पहरा है।।
नाक मूँह पर लगाओ हमेशा नकाब
हर गली में कोरोना का पहरा है।
सेनिटाइज रहो न मिलाओ रे हाथ
हर गली में कोरोना का पहरा है।।
हर संभव सब सबका देना रे साथ
हर गली में कोरोना का पहरा है।
जीओ ‘विनयचंद ‘और जीए समाज
नाम सुमिरन का बल बड़ा तगड़ा है।।
Nice
Very Nice
Bahut bhadiya pandit ji. Aapki kavita bahut achi hoti h
Thank u very much for your comment about my poem
Nyc
🙏🙏🙏🙏
गुड