नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं
कौन कहता है कि बारिश थम गई
नैन में अब भी घुमड़ते मेघ हैं,
रो रहा आकाश शायद अब नहीं
यूँ तड़पती बून्द परिचय दे रही।
जिंदगी सुनसान सड़कों सी बनी
लालसाएँ ढेर सारी शेष हैं।
और कुछ हो या न हो इतना तो है
बस इरादे आज भी सब नेक हैं।
बहुत खूब पांडे जी
धन्यवाद सर
Very nice
Thanks
, अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद सर
Wow , सतीश जी आपने कवि के दर्द को भी कितनी सुन्दर पंक्तियों में ढाल दिया है…. आपसे बहुत कुछ सीखना पड़ेगा।सैल्यूट 🙋
इस बहुत ही सुंदर समीक्षा और टिप्पणी के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद। अभिवादन
स्वागत है
सुन्दर अभिव्यक्ति
सादर धन्यवाद जी
बहुत बढ़िया कविता
बहुत बहुत धन्यवाद
Beautiful
Thanks
बहुत बढ़िया वाह जी
Thanks ji
काफी अच्छा लिखा
धन्यवाद