पुकार रही है भारतमाता
पुकार रही है भारतमाता
आप सभी संतानों को,
कलम उठा लो, खड़क उठा लो
ख़त्म करो हैवानों को.
बाहर-भीतर देश के दुश्मन,
जो उन्नति के बाधक हैं,
सामाजिक ताने-बाने को
तोड़ रहे जो कारक हैं.
लिखो उजागर करो उन्हें
सच्चाई को आगे लाओ,
कलम तुम्हारी खड़क बनेगी
धार तीव्र करके आओ.
कलम उठालो, खड़क उठालो
तभी देश उन्नत होगा,
वरना यह घुन भीतर – भीतर
हम सबको धोखा देगा.
साफ़ करो भीतर के दुश्मन
ख़त्म करो हैवानों को,
पुकार रही है भारतमाता
आप सभी संतानों को.
—– डॉ. सतीश पाण्डेय, चम्पावत
भारत के दुश्मन ,वो बाहर हों या भीतर उनको खत्म करने की लेखक की बहुत सुंदर भावनाएं …. जय हिन्द 🇮🇳
सादर धन्यवाद गीता जी
ख़त्म करो हैवानों को, बहुत सुन्दर
धन्यवाद जी
nice
सादर आभार
गजब, सावन की जय हो
जय हो
बहुत हीं सुन्दर प्रस्तुति
न तीर से न तलवार से
क्रांति आती है कलम की धार से।
sadar dhanyvad ji
कलम उठा लो यह कह कर
कवि ने कलम को तलवार का रूप दिया है उसकी इस सोच को मेरा नमन बहुत ही उम्दा रचना
Thanks