भजन

प्रभु का नाम जप ले प्राणी।
तेरी दो दिन की जिन्दगानी।।
एक दिन बीता खाते-पीते।
रात भी बीती सोते-सोते।।
नया सबेरा पाकर भैया
क्यों करता रे आनाकानी।। तेरी़़़़
दिन दुपहरिया साँझ बीतते
ना देर लगेगी भैया।
धन दौलत कुछ काम न आवे
नाहीं बापू मैया।।
‘विनयचंद ‘हर सांस से गाओ
राम नाम निर्वाणी।। तेरी दो़़़़़़

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