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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
“अजनबी” #2Liner-18
ღღ__हमको सताने के मौके, वो छोड़ते नहीं हैं “साहब”; . कल ख़्वाब में भी आए, तो अजनबी बनकर !!…….#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
“ख्वाहिशें” #2Liner-24
ღღ__शायद ये आँखें मूँद लेने का, सही वक़्त है “साहब”; . कि रोज़ ख्वाहिशों का मरना, हमसे अब देखा नहीं जाता !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
“बेबसी” #2Liner-23
ये सर्दियों का मौसम, और ये तन्हाईयों का आलम; . कहीं जान ही ना ले-ले, इनसे मिलके बेबसी मेरी !!……#अक्स . www.facebook.com/अन्दाज़-ए-बयाँ-with-AkS-Bhadouria-256545234487108/
देश दर्शन
शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को, कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं, मैं देश दिखाने आया हूं।। नारी को अबला समझने वालों को, मां…
Kya alfaaz hai….nice bhai
bs koshish kr lete h……..thank uu Pankaj bhai!!…..:)
ख़िताब चाहें कितना भी छोटा क्यों ना हो ….उसे पाने के बाद …
होने वाली ख़ुशी हमेशा बड़ी होनी चाहिए…
बेशक भाई…..!! 🙂
℘___मंजिल को जाने क्या हुआ कदमों में आ गई,
मैं रास्ते का लुत्फ.. उठाने से रह गया____℘
nice ankit ji
thank u Anu ji….thanks a lotttt!! 🙂
बहुत खूब
बहुत खूब सराहनीय