Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Ankit Bhadouria
A CA student by studies, A poet by passion, A teacher by hobby and a guide by nature. Simply I am, what I am !!
:- "AkS"
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sabhi kaha..din to jarurato me gujar jaata he
shukriya Ajay ji……..:)
hmm…true..khamosh raat bahut jor se chikhati he raatbhar, dil jaagta rahta he raatbhar
shukriya……Mohit ji 🙂
अद्भूत….
आधी जिंदगी है मेरे पास, आधी तू ले गयी
मेरे अधूरापन चीख रहा है, मुकम्मल होने के जोर में
shukriya Kapil ji……n nice lines !!
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर…
चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नहीं होती…✍
waah..! bohot khoob..! 🙂
thanks a ton…..Nirala ji !!
बहुत खूब