वो बूढ़ी माँ
एक पन्ना और जुड़ गया
जीवन के अध्याय में
चिरंजीव चिरस्थायी का जो
आशीर्वाद दिया था माँ ने
आज धुंधला प्रतीत हो रहा है
अकस्मात एक प्रारब्ध बेला पर
विचलित कर देने वाली घटना
स्मरण हुई
जो अन्तर्मन को दुखा रही थी
मेरी वेदना के शूल चुभ रहे थे
नयनों से अश्रुधारा बह चली
एक माँ के बुढापे का सहारा
जो मृत्यु की गोद में सो गया था
अकारण ही दुर्घटना का
शिकार हो गया था …..
वो बूढ़ी माँ अपने मृत पुत्र को
गोद में लेकर कह रही थी:-
उठ बेटा उठ तुझे भूख लगी होगी कुछ खाले××××
कुछ बोलता क्यूँ नहीं…
मैं ऐसा करुण दृश्य देखकर अवाक सी रह गयी××××
भाव पूर्ण रचना
थैंक्स
सेलयूट यू
धन्यवाद
Nice
धन्यवाद
Bahut ache sabdon ka prayog
धन्यवाद आपका
Nice
थैंक्स
Nyc
थैंक्स
Nice
धन्यवाद
Bhaav poorn
थैंक्स
बहुत ही सुंदर भाव
थैंक्स