ओ याद! भूली बिसरी

आ बैठ पास मेरे
ओ याद! भूली बिसरी,
आ अश्रु! नैन में आ
या मुँह में आ जा मिश्री।
बीते पलों की खुशबू
तू उड़ कहाँ गई है,
ओ मन की लालसा तू
धुल कहाँ गई है।
बांधी थी जो सहेजे,
भर पोटली में यादें,
वो पोटली न जाने
खुल कहाँ गई है।
यादों में रह गई हैं
यादें थी जो पुरानी
उनमें भी कोई यादें
यादें कहाँ रही हैं।
खो जाओ मत यूँ यादो
आओ जरा बैठो,
रोऊँ, हँसूँ मैं तुम पर
आओ ना, बैठ जाओ।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. ओ याद! भूली बिसरी,
    आ अश्रु! नैन में आ
    या मुँह में आ जा मिश्री।
    __________ भूली हुई यादों को याद करने की कवि सतीश जी की बहुत सुंदर कविता ,सुंदर शिल्प और भाव सहित अति उत्तम लेखन

    1. इस सुन्दर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी। प्रेरक समीक्षा शक्ति का अभिवादन

  2. आ बैठ पास मेरे
    ओ याद! भूली बिसरी,
    आ अश्रु! नैन में आ
    या मुँह में आ जा मिश्री।
    बीते पलों की खुशबू
    तू उड़ कहाँ गई है,
    ओ मन की लालसा तू
    धुल कहाँ गई है।

    अपनी यादों का मानवीकरण किया है आपने

+

New Report

Close