Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
कैसे बैठे हुए हो यौवन
यूँ रास्तों में कैसे बैठे हुए हो यौवन क्यों बाजुओं में माथा टेके हुए हो यौवन। क्या कोई ऐसा गम है या कोई ऐसी पीड़ा,…
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन आमोद !प्रमोद! विनोद !नवल !नव हर्ष! तुम्हारा अभिनंदन ! नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन !! 💐💐💐💐💐💐💐 नवसंतति के नवचेतन में फूटें अंकुर मुद…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ओ रोशनी! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा
जगमग कर दे यह जग
ओ प्रकाशपुंज !
भर प्रकाश जीवन में
पुष्पों की लालिमा से
महक उठे यौवन..
वाह प्रज्ञा जी श्लेष, उपमा, अनुप्रास तथा विशोक्ति अलंकार का सुंदर प्रयोग
प्रगतिवाद और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय किया है आपने
बहुत ही सुंदर प्रोफेशनल रचना
आभार आपका
प्रेरणादायक रचना
धज
धन्यवाद
धन्यवाद
अति सुंदर रचना
धज
धज
धन्यवाद
धन्यवाद
अतिसुंदर रचना
धन्यवाद
ओ रोशनी ! चली आ
बीता तम
हुआ सवेरा……… . बहुत खूब, प्रातः काल की बेला का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है प्रज्ञा जी ने अपनी कविता में
धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ
शानदार प्रस्तुति
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