खुद को उत्साह में रख
खुद को उत्साह में रख
न हो मन दुखी,
तू बढ़े जा, बढ़े जा
न हो मन दुखी।
यह तो संसार है,
इसमें संघर्ष है,
जो बढ़ेगा
उसी का ही उत्कर्ष है।
तेरे कदमों की आहट
को सुनकर यहां
कोई खुश होगा
कोई रहेगा दुखी।
टांग खिंचती रहेगी
निरंतर तेरी,
पीठ पीछे करेंगे
बुराई तेरी।
जब तलक हाँ में हाँ
तू मिला कर चले,
तब तलक सब करेंगे
बड़ाई तेरी।
जब कभी तू
चुनौती लगेगा उन्हें,
शब्द वाणों से होगी
खिंचाई तेरी।
तू न परवाह कर
जा बढ़े जा बढ़े,
धर्म की राह ले
सत्य पर रह अड़े।
खुद को उत्साह में रख
न हो मन दुखी,
तू बढ़े जा, बढ़े जा
न हो मन दुखी।
प्रेरणदायक रचना
सादर धन्यवाद
बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद जी
निरंतर जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती रचना
Thanks ji
ATI Sundar
Thanks ji
Well said
Thanks ji
बहुत खूब
थैंक्स