गाऊँ गीत मनाऊँ होली
गाऊँ गीत मनाऊँ होली
खुशी मनाऊँ मन ही मन
रंग की रौनक जहाँ तहाँ हो
खूब सजाऊँ अपना तन।
लाल व पीले, हरे, गुलाबी
सारे रंग उड़ाऊँ मैं,
खुद का चोला खुद ही रंग लूँ
मन से तन को भिगाऊँ मैं।
बनकर खूब रंगीन सा पुतला
होली आज मनाऊँ मैं।
जो आये रंगों को लेकर
उसको खूब रिझाऊं मैं।
बहुत बढ़िया रचना
बहुत खूब, बहुत खूब
खूब सजाऊँ अपना तन।
लाल व पीले, हरे, गुलाबी
सारे रंग उड़ाऊँ मैं,
________ होली के पर्व पर रंगों में सराबोर कवि सतीश जी की बहुत ही सुंदर कविता बहुत सुंदर शिल्प और प्रवाह लिए हुए शानदार प्रस्तुति
बहुत खूब
अतिसुंदर रचना
गाऊँ गीत मनाऊँ होली
खुशी मनाऊँ मन ही मन
रंग की रौनक जहाँ तहाँ हो
खूब सजाऊँ अपना तन।
लाल व पीले, हरे, गुलाबी
सारे रंग उड़ाऊँ मैं,
खुद का चोला खुद ही रंग लूँ..
कवि सतीश जी की सुंदर पंक्तियां जिनंमे होली के त्योहार की लालिमा टपक रही है
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