जिसकी पहचान धड़क से हो
जीवन की गाडी
चले निरंतर
पहियों की पकड़
सड़क से हो।
कोई फिसले नहीं कहीं पर ,
पहचान सुपथ पर
पकड़ से हो।
ह्रदय हो तो
हो प्रेम भरा
जिसकी पहचान
धड़क से हो।
आवाज उठानी हो
सच की तो
सच्ची में वह
कड़क सी हो।
कलम उठे यदि लिखने को
तो धार कलम की
खड़क सी हो।
जीवन की गाडी
चले निरंतर
पहियों की पकड़
सड़क से हो।
—– डॉ. सतीश पांडेय
nice
Thank you ji
Nice
Thanks
पहियों की पकड़
सड़क से हो।
शानदार भाव हैं, समझने को इशारा दिया है , गजब
Thanks
जीवन साथी के साथ जीवन पथ पर साथ साथ चलने की सुंदर पंक्तियां…वाह
भाव पर सटीक पकड़ की गई है, सादर धन्यवाद
गाड़ी
जीवन की गाड़ी, सजीव चित्रण