झूठ से डरना नहीं (गीतिका छंद)
बात अपनी बोल देना, बात में डरना नहीं।
धर्म की ही बात करना, धर्म से डिगना नहीं।
तू अगर है सत्य पथ पर, झूठ से डरना नहीं।
भूल कर भी बस गलत की तू मदद करना नहीं।
सत्य के राही कभी डरते नहीं झुकते नहीं,
तू अगर है सत्य पथ पर, फिर कहीं दबना नहीं।
सिर उठा कर जोश से जीना, कभी गिरना नहीं,
दूर हो सारी निराशा, हो हँसी, रोना नहीं।
“तू अगर है सत्य पथ पर, फिर कहीं दबना नहीं।सिर उठा कर जोश से जीना, कभी गिरना नहीं,”
सत्य की राह पर चलने वाला किसी से डरता,दबता नहीं है , यही सुन्दर संदेश देती हुई कवि सतीश जी की प्रेरक रचना , कथ्य और शिल्प की मजबूती लिए हुए गीतिका छंद युक्त अति सुन्दर कविता
बहुत बहुत धन्यवाद अभिवादन
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर
“सत्यं वदामि च”
को चरितार्थ करती हुई
सदैव सत्य बोलने के
लिए प्रेरित करती रचना
जो समाज को एक अच्छा संदेश देती रचना..
बहुत बहुत धन्यवाद