Categories: शेर-ओ-शायरी
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हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार सब सर नवाते हैं, तेरे दर पर मेरे राम कोई तुझसे क्या माँगे, तुम किसी को क्या देते हो…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
अकेले रह जाते हैं
सुंदरता के आकर्षण में बंध कोई इतना कैसे भा जाता है ईश्वर से मांग को हो धन्यवाद प्रार्थना से जीवन में लाता है पाकर इच्छित…
बहुत खूब
बहुत धन्यवाद
👏👏👏👌👌👌
Thank you
सुंदर
सादर आभार जी
बहुत ख़ूब..
बहुत सारा धन्यवाद जी
Very nice😊👏👍
Thank you ji
Nice, very nicet
सादर धन्यवाद