दिल तुम्हारी और

आज भी वो दिल तुम्हारी और जाता है
जो तुमने तोड़ दिया था
आज भी तुम्हारे गुण गाता है
जिसका मुँह चुप कर दिया था
आज भी तुम्हारी गलियों में रहता है
जिसको कही और छोड़ दिया था
ये दिल सब जनता है
पर कहा मानता है
ये आज भी तुम्हारी आवाज सुनना चाहता है
जिस से तुम बोलती नहीं
खूब समझाया पर माना नहीं
वो किसी की दिल लगी को सजा समझने लगे ,
दो पल रूत के गुज़ारे , तो जफ़ा समझने लगे
अपने दिल से बोला आ तुझे जोड़ देता हु
ज़िन्दगी के पहिये को ख़ुशी की और मोड़ देता हु
इस नर्क से तेरा नाता तोड़ देता हु
पर दिल को कहा समझ में आता है
आज भी वो दिल तुम्हारी और जाता है

हिमांशु की कलम जुबानी

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