दीये जलने दो जरा

दीये जलने दो जरा
कूछ उजाला हो जाए
वैसे तो अंधेरे की आदत है
आज कुछ अलग हो जाए
जिंदगी गुजरी है सीधी सी
आज रोकेट को कुछ टेडा कर के छोड देते है
शायद इससे किसी अंधेरे में उजाला हो जाए|

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Responses

  1. अनुप्रिया जी, बहुत ही प्रशंसनीय , खासकर जिस प्रकार आपने विचार को एक मोड़ देकर छोड़ा बहुत अच्छा लगा |

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