दुआ इतनी है
दुआ इतनी है कि रोज इस तरह भी बेशुमार आएं।
दिन ढले तो बहार आए रात गुजरे तो बहार आए।
घटाएँ चिलमन हैं खुशियाँ हैं रोशनी की किरण,
घटाएँ ढलती रहें रोशनी के गुबार आएं।
हमारी बात और है कि रहते हैं हम अंधेरों में,
तुम उजाले हो क्यों न हमें तुम पर प्यार आए।
कुछ समझ नहीं आता क्या बात है चेहरे में,
देखें तो खुमार आए बिन देखे न करार आए।
आज का दिन हो उल्फत का तरन्नुम हो साज हो,
आज ही आज हो कल कभी कभार आए।
जिंदगी की जिंदादिली मैं तुमसे आज कहता हूँ,
अपनाते चले जाओ जिंदगी में निखार आए।
संजय नारायण
वाह
Nice
Nice
आप सभी कविता प्रेमियों का ह्र्दयतल से आभार
सुन्दर
आपका भी आभार याद आया करिए और अपनी कविताओं से हमें आनंदित कीजिए
bahut khoob