Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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अपहरण
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बादल जितने भी हो पर धूप तो रहेगी।
अर्थात जिंदगी में चाहे जितने भी दुख हो पर जिंदगी तो रहती है
और उसे जीना भी पड़ता है कोई किसी के मर जाने पर स्वयं उसके लिए नहीं मर जाता
बल्कि जीवन में सुख दुख आते जाते हैं दिन रात के सामान और उन्हें मनुष्य झूलता हुआ संघर्ष करता हुआ आगे बढ़ता है और रिश्ते सिर्फ स्वार्थ के मायने तक ही सीमित रह जाते हैं।
आपने इन पंक्तियों में बहुत बड़ी बात करने की कोशिश की है
मेरी कविता के बारे में इतनी सुंदर समीक्षा करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार मेरी कविता का भाव यही था जो आपने बताया है आलोचक का कार्य कविता का भाव व करना होता है जो आपने बखूबी किया है
पाठक को सकारात्मकता की ओर ले जाती सुन्दर पंक्तियाँ।
“बादल चाहे जितने हों पर धूप तो रहेगी।”
वाह वाह
धन्यवाद
सुंदर
🙏🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ
🙏🙏