Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
Related Articles
बूंद बूंद बूंदें।
बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बरसती है , आंखों से मेरी । तूने क्यों की रुसवाई , जज्बातों से मेरे। बूंद बूंद…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
इनके बिना जीवन एक नाम ही है मात्र
माघ की इस सार्दी में जब ये हवा चली जो खिलती धूप की गर्माहट में लग रही है भली। जरा–से बादल हल्की–सी हवा कभी…
एक बूंद मुस्कराहट
तुमे शायद पता नहीं, एक दिन चुपके से मैने, चुरा ली थी तुमारे होठों से, एक बूंद मुस्कराहट। कई दिन छुपा के रखता रहा, कभी…
अकेले होने का मतलब
अकेले होने का मतलब हर बार बस उदास होना ही नहीं होता हो सकता था मैं भी बरबाद पास अगर मैं खुद के न होता।…
वाह अति ही सुंदर
बहुत सुंदर भवाभिव्यंजना हैं
बढ़िया, वाह बहुत ही बढ़िया लिखा है
बहुत ही सुंदर
बहुत खूब