मानव जाति विकट विपदा में है
हे नियंता! दैव! प्रकृति!
मानव जाति विकट विपदा में है,
चारों तरफ रोग फैला है,
इससे निजात दिला।
चीन के वुहान से निकल कर
पूरी दुनियां को चपेट में ले लिया,
जिंदगी ठप्प कर दी,
भारी संख्या में
बेरोजगार हो गए लोग।
काम-धंधा चौपट हो गया,
इस रोग से निजात दिला,
वैज्ञानिकों के हाथों में अब
सफलता दे दे,
आस लगाई हुई है दुनिया
सफलता दे दे।
हे नियंता! दैव! प्रकृति!
मानव जाति विकट विपदा में है,
चारों तरफ रोग फैला है,
इससे निजात दिला।
Nice thoughts
बहुत बहुत धन्यवाद
सच बात है
सादर धन्यवाद
सरल शब्दो में सुन्दर प्रस्तुति
मेरी कविता पर इतनी सुंदर टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद
Sunder
आपका स्नेह और आशिर्वाद सदैव साथ रहे शास्त्री जी
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत खूब, सुन्दर