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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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स्वच्छ भारत अभियान
हर शख्स से हर अक्स से विनती मेरी हर सांस से हर जात से हर पात से हर शहर ग्राम और प्रांत से। धरती हमारी…
अच्छा
तं ज करती हुई सुंदर रचना
बहुत सुंदर भाव