मेरे हवाले कर दो…
‘रेत पर लिख दो और लहरों के हवाले कर दो,
आज इस साल की सब बन्द रिसालें कर दो..
इस नए साल में बाहर न कोई ढूंढे तुम्हे,
मेरे रब तुम अगर दिलों को शिवाले कर दो..
किसी भूखे के लिए ये बड़ी वसीयत है,
कि उसके नाम कभी चंद निवाले कर दो..
किसी की ऊँची हैसियत से जला क्यूँ कीजे,
जलो ऐसे कि हर तरफ ही उजाले कर दो..
किसी को हश्र दिखाना हो किसी आशिक का,
मुझी को ताक पर रखकर के मिसालें कर दो..
तुम अपनी यादों से कह दो कि रिहा कर दें मुझे,
मैं थक गया हूँ मुझको मेरे हवाले कर दो..
रेत पर लिख दो और लहरों के हवाले कर दो,
आज इस साल की सब बन्द रिसालें कर दो..’
– ‘प्रयाग धर्मानी’
मायने :
रिसालें – पतली किताबें
शिवाले – मंदिर
मिसालें – उदाहरण
रिहा – आज़ाद
बढ़िया चित्रण
बहुत शुक्रिया सर आपका
Beautiful
शुक्रिया अनु जी
बहुत सुंदर कविता
बहुत धन्यवाद आपका
कविता की दूसरी पंक्ति को कृपया इस तरह पढ़ें..
‘यूँ गुज़रे साल की सब बंद रिसालें कर दो..’
कविता लिखते वक्त ये सोचा था कि आखिर में करेक्शन कर दूंगा लेकिन अपलोड करते वक्त याद ही नही रहा..क्षमाप्रार्थी हूँ..
बहुत ही सुन्दर
बहुत दिन बाद आपकी रचना पढने को मिली
जी बहुत शुक्रिया..और बिल्कुल ठीक कहा आपने दरअसल लोकडाउन के बाद से 60 प्रतिशत वेतन हो जाने के कारण दो जगह काम करना पड़ रहा है इसलिए वक्त नही निकाल पाता लेकिन कोशिश करूँगा कि कभी कभी ही सही लेकिन उपस्थिति दर्ज़ कराता रहूँ..
Bdhiya
Thanks Sir
अति सुंदर
Thank You Pragya Ji
उत्तम प्रस्तुति
Thank You so Much sir
👌👌👌👌👌👌वाह क्या बात है