Categories: शेर-ओ-शायरी
Tags: संपादक की पसंद
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मौकापरस्त मोहरे
वह तो रोज़ की तरह ही नींद से जागा था, लेकिन देखा कि उसके द्वारा रात में बिछाये गए शतरंज के सारे मोहरे सवेरे उजाला…
वेद पुराणों की बात है निराली
वेद-पुराणों की बात है निराली । राष्ट्रसेवा है सबसे सर्वोपरी । जब तक राष्ट्र में एक भी प्रजा भूखा हो, तब-तक हक नहीं भोजन करने…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
“कवि हूँ मैं सरयू तट का “
“कवि हूँ मैं सरयू तट का ” कवि हूँ मैं सरयू तट का समय चक्र के उलट पलट का मानव मर्यादा की खातिर सिर्फ अयोध्या…
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
Nice
Thank you
उत्तम
शुक्रिया
उम्दा
शुक्रिया
वेलकम
बहुत ही सही बात कही है आपने
बहुत ही उम्दा