“नारी की अस्मिता”
नारी की अस्मिता पर जैसे ही बात आती है नारी रौद्र रूप और जाती है जब जब पुरुष की इच्छा हुई तब तब नारी के…
नारी की अस्मिता पर जैसे ही बात आती है नारी रौद्र रूप और जाती है जब जब पुरुष की इच्छा हुई तब तब नारी के…
गाँव की गलियाँ और गाँव का सवेरा झिलमिल सितारे और कलियों का सेहरा बीतने लगीं अब तो शामे भी लम्बी बाजरे की रोटी और भिंडी…
कभी-कभी हंसी आ जाती है तुम्हारी बातों पर। रातें भी मुस्कुराती हैं तुम्हारी बातों पर। जाग उठते हैं दिल में अरमान मेरा कल मुस्कुराता है…
जाने किन बातों में उलझा रहता है यह मन तपती धूप में रहता है फिर भी ठंडक सी देता है मेरे विचारों को एक चिंगारी…
कभी फुर्सत मिले तो हमको भी तुम याद कर लेना भले झूँठी ही हो आहें मगर एक आह भर लेना। हम भी हैं तुम्हारी राह…
जाने कैसी है तुम्हारी याद वक्त बेवक्त आती है कभी मुह ढक कर कभी मुह दिखाई के लिए आती है तुम्हारे नाम का सिन्दूर लगा…
माँ के आँचल में छुप गए जब डर लगा पापा ने हिम्मत सिखाई और राह चलना सिखला दिया बहन ने रखी पहनाई स्नेह से घर…
डॉटर्स डे स्पेशल:- बेटियां हैं पराई तो क्या मान और सम्मान देती हैं, आँख में आते हैं आँसू तो हाँथों से पोंछ देती हैं। जिन्दगी…
अच्छा तो तुम कल छत पे आये थे ! पतंग को तंग करने या मुझको हिय से लगाने आये थे ?? सच बताओ क्या आज…
जीत ली तुमने दुनिया तो क्या हमारा हृदय न जीत सके देश जीते होगे तुमने पर प्रेम को न जीत सके। एक वक्त था जब…
नहीं करनी हमें तुमसे बराबरी क्योंकि तुम हमसे एक कदम आगे हो अच्छाई में भी आगे और बुराई में भी आगे हो। कल जब कोई…
संस्कार है हमारे जीवन का आधार जिसकी दहलीज़ पार करने पर समाज बहिष्कृत कर देता है और जिसका पालन करने पर महापुरुष की उपाधि देता…
नहीं बैठ पाया वो पंक्षी किसी भी डाल पर, जिसके बच्चों को वृक्ष सहित गिराया गया हो। विश्वास अब किस पर करे वह जब यह…
सुविचार:-2 आज यकीन आ ही गया हमें- टूटे दिल और अधूरे सपनों से, वो बचपन के खिलौने काफी अच्छे थे।।
सुविचार:- दूसरों पर विश्वास जरा सोंच कर करना चाहिए, क्योंकि कभी कभी हमारी जिह्वा को हमारे ही दन्त काट बैठते हैं।
हमारी जिन्दगी का सफर बड़े आराम से कट रहा है क्योकिं ———————- अब हम परवाह नहीं करते कि कोई क्या कहता है।
नहीं सम्भल पाये हम ना जुल्फों को ही सम्भाला, मेरी कलम ने इस बीच कितनों को बेआबरू कर डाला।
ऐ दिल! तू गम की बात न कर आराम फरमा काम की बात न कर। कितना सजने लगा है अब वो किसी और के लिए,…
अन्दर की बातें बाहर करने वाले नजरों से गिर जाते हैं, बस एक कलम है जिससे मोहब्बत बढ़ती जाती है।
जीवन की उलझनों से फुर्सत लेकर आओ बैठो मेरे पास कुछ पल निहारो देर तक मुझे आगोश में ले लो मुझे मैं बैठा हूं तुम्हारे…
प्रेम से अधिक प्रिय कोई एहसास नहीं जो इसे नहीं समझते उनसे प्रेम की आस नहीं। बसाया कभी था जिसको ह्रदय में, अब उसी को…
जीवन की सुंदरता को कहाँ वो जानते हैं ?? जो स्वयं से अधिक किसी और को पहचानते हैं।
जीवन की अभिलाषा है तू ही हार तू ही आशा है मैं बढ़ जाती हूँ जानबूझ कर तेरी गोद में सर को रख कर मिलता…
हमारी हार हमारी जीत हो तुम हे अर्द्धांगिनी ! मेरी प्रीत हो तुम मेरे जीवन सफर की राजदार हो मेरे प्रणय का परिहार हो गीत…
घनघोर बादल गरज रहे हैं सर्द हवाओं के झोंके मन को भिगो रहे हैं बीत गई अब तपन भरी रातें सर्द दिनकर’ सुबह को नमन…
अपने गुनाहों को मैं हमेशा छुपा लेती हूँ शर्म आती है तो नजरों को झुका लेती हूँ दीवार पर दिखते हैं कारनामे जब अपने आवेश…
उर्दू मेरी जबान नहीं उसकी मुझे पहचान नहीं पर फिर भी प्यारी लगती है हिंदी जैसी लगती है इसमें सुंदर शब्दों को खिलते खेलते लफ्जों…
जीवन पर्यंत दुख दिया मैंने एक भी सुख ना दिया मैंने ओ मां ! मुझे माफ कर दे तेरा होकर भी, तेरे लिए कुछ ना…
हिंदी दिवस स्पेशल:- —————— हिंदी हमारी मां है हिंदी हमारी पहचान करो इसका सम्मान सभी हिंदी है बहुत महान हिंदी है बहुत महान देश की…
मन को सम्भाल कर रखा है तेरी यादों को सहेज कर रखा है आँख में आँसू रोज आने लगे हैं, क्योंकि जो कल मेरा था…
धरा पर किसका ये बसेरा है नीर गिरता है ये नया सवेरा है अश्क से धुल गए हैं जख्म अब तो चहुँ ओर छाया कैसा…
जीवन में कठिनाईयाँ तो आती रहेंगी। आकांक्षाओं की थाली यूँ ही सजती रहेगी। हम करेंगे संघर्ष से वार, कठिनाईयाँ भी हमसे पराजित होती रहेंगी ।
देख कर मुग्ध हूँ मैं तेरा सलोना रूप हे केशव ! तू है मेरे मन का वो प्रकाशित भाग ! जिसके होने से होता है…
खुले हैं द्वार चले आओ तुम अब हमको न यूं सताओ तुम। जिंदगी तो पहले ही बेवफा थी अब किस्मत को बेवफा ना बनाओ तुम।…
एक कवि हो कर एक कवि का दर्द कहां समझते हो, प्यार करते हो मुझसे पर मुझको कहां समझते हो ? नींद में लेते हो…
हम कैसे करें ऐतबार! कर भी लें कैसे तुमसे प्यार! क्या भरोसा है कि तुम हमें दगा ना दोगे मेरे हाँथों को उम्र भर के…
कितना रोए, कितना तड़पे, मचाए कितना शोर ! तू किसी और का हो चुका है यह समझाएं कैसे दिल को ? तड़प है, नशा है,…
गलियारों में अंधियारे हैं निश्चित ही सब दुखियारे हैं नहीं हैं खाने को कुछ दाने दूर दूर से सब प्यारे हैं कर्तव्यों की बलिवेदी पर…
आकांक्षाओं के तिमिर में स्मृतियों का बसेरा है जीवन है अंधकार युक्त और खुशियों का सवेरा है बीत जाती हैं कई शामें बिस्तर की सिलवटों…
पिछले कुछ दिनों से फिर आ रही है उनकी याद उसकी याद में दर्द है और थोड़ी सी प्यास भूल तो गए थे हम दो-चार…
मैं चाहती हूं मेरे लफ्जों में गहराइयां हों छूता चले मेरा हर अल्फाज आसमान को मेरे भावों में वो ऊंचाइयां हो तितली से रंग भरे…
कैसे कहें कि क्या खोया है हमने और क्या पाया है हमने दर्द के सिवा कुछ मिला नहीं जो तू ना मिला तो गिला भी…
आज आ गया समझ में जिंदगी कितनी छोटी होती है एक पल में होती है हमारी तो दूजे पल में हमसे कोसों दूर होती है।…
तुम्हारे छिन जाने से मानो सब छिन गया दिल गया, चैन भी छिन गया स्मृति ही शेष रह गई अब तो हाँथों से सर्वस्व छिन…
वह थी बिजली की कौंध सी वह थी निश्चल प्रेम सी वह थी सावन की फुहार लड़कियाँ जैसे पहला प्यार लड़कियाँ जैसे पहला प्यार। गीत…
अर्थ होते हैं त्वरित परिमाण होते हैं गीत होते हैं स्वयं के साज होते हैं है धरा मुर्छित हुई जब जब म्यान में तलवार है…
विचारों की विचार गाथा पर हम तो शंकित रह गए पुष्प जो हर्षित खिले थे औंधे मुंह मुरझा गए थी प्रणय की आस किन्तु आस…
बूंद की किंचित उदासी बूंद ही सुन ले अगर क्यों मिले सागर में जाकर गुत्थी ये सुलझे अगर तो स्वयं ही हो समाधानों की अविरल…
तालिबान ने यह कैसी हालत कर दी अफगानिस्तान की बैठे बैठे मृत्यु आ गई कीमत कम हो गई अब तो जान की। फिल्मों जैसा हाल…
देवकीनन्दन खत्री जी की पुण्यतिथि:- जन्म:- (18 जून 1861) मृत्यु:- (1 अगस्त 1913) ************* हिन्दी के प्रथम तिलस्मी लेखक वा कहानीकार देवकीनन्दन खत्री जिनकी है…
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