(शायरी)
1) क्यों मजबूर हुए हम ये कभी सोंचा है?? मेरा गुरूर तो तुम्हें दिखता है वक्त मिले तो कभी सोंचना जरूर ! ये मासूम सा…
1) क्यों मजबूर हुए हम ये कभी सोंचा है?? मेरा गुरूर तो तुम्हें दिखता है वक्त मिले तो कभी सोंचना जरूर ! ये मासूम सा…
इतना घमंड क्यों भरा है इन्सान में मत जियो अभिमान’ में। नफरत की बेल इतनी क्यों चढ़ा रखी है कांटों की सेज क्यों बिछा रखी…
ये वादियां ये फिजाएं क्यों बुलाती हैं मुझे जाने क्यों इतनी मोहब्बत जताती हैं मुझे। इन फिजाओं में लिपटी हुई मोहब्बत है मेरी दुआओं में…
जब दुनिया पर गौर करो तो अपना अस्तित्व नजर आता है भूल हो जाए तो हर शख्स रूठ जाता है अच्छाई कहाँ याद रहती है…
सपनों की धूप में हम अपनी चादर सुखा रहे थे तेरे दिखाये हुए रास्ते में हम फूल बिछा रहे थे तेरी बेचैनी बढ़ गई थी…
सबसे छुपा कर रखा है तुझको तू किसी और का ना हो जाये डर लगता है मुझको धूप की चादर हो चाहे शबनम की फुहार…
शिकायतों के पुलिंदे……. ……….अगर खोलना चाहोगे ? उस हुजूम में ……….. …….सबसे आगे मुझको पाओगे
Mera guroor hi tod diya tumne… Kitna naaaz tha tum par….😞 आओ लौट चले पुराने कल में, कोई बाधा ना हो जीवन में……
इन नशीले नैनों से सम्मोहित करके कत्ल कितनों के किए होंगे तुमनें…. हादसों का शिकार हो गया मेरा प्यार भी किसी और का हो गया
रुठे रुठे से हुजूर नजर आ रहे हैं हमें बेवफा बताकर शायद किसी के घर जा रहे हैं कानों की बाली खो गई है उनकी…
मानवीय अलंकार से सुसज्जित:- दिलनशी शाम के सवेरे हैं वायु में मद घुली हुई है शहर का कोलाहल शांत है देखो ! शबनम भी नहा…
मत रोको !!!! जाने वाले को जाने दो 🤗 उसको भी अपनी औकात समझ में आ जाएगी।❣ लौट के फिर वो आएगा आपके पास…. ….जब…
उसके होंठों को जब तुमने प्यार से चूमा होगा । ❤ खयाल एक पल को मेरा भी तो आया होगा । ❤
तू जहाँ रहे आबाद रहे जिए यूँ ही मुस्कुराकर आसमान में ज्यों सूरज वैसे ही तेरी शक्सियत जिन्दाबाद रहे।। 🙏🙏🙏🙏
तुम्हारी शान में जो लफ्ज निकले गजल बन जाये। तेरे अधरों से निकला अल्फ़ाज ही कुरान बन जाये नसीहत तुझको क्या देगा कोई ऐसी किसकी…
जख्म खाए हुए बैठा हूँ रोता हूँ दिल में और हँसता हूँ
है क्या मजाल जो मैं तुमसे कुछ कहूँगा रो रहा हूँ मैं और रोता ही रहूँगा….
मिट्टी से दीये बनते हैं और उजाले मन के अंधेरों को दूर करते हैं
कभी कभी यूँ भी होता है वो सामने होती है और दिल गमों से चूर होता है।😭
उसकी खूबसूरत जुल्फें और मुस्कान दिल कैसे ना हो बेईमान!!!
खूबसूरत है वो ऊपर से उसकी सादगी जुबान से मोती गिरते हैं फिर भी वो हमसे प्यार करने की वजह पूछते हैं
आधार मेरी ज़िन्दगी का तू है मेरी सुबह और शाम तू है कैसे जिएंगे तेरे बिन जब मेरी आखरी साँस भी तू है
इरादा है तुम्हें अपना बनाने का मौका तो मिले पास आने का।🤣🤣
तेरे नाम की माला कब तक जपता रहूँ देख गैरों के साथ तुझे कब तक जलता रहूँ!!!
तमाशबीनों की निगाहें मुझे घूरती क्यों हैं तेरे घर में फिर से कोई जश्न है क्या ????
जीवन का हर लम्हा तेरे साथ होता !! तो ना मैं फ़िरता यूँ…. बदहवास होता!!!!
आईने की नजर से छुपा लूँगा तुम्हें.. कुछ इस तरह से दिल में छुपा लूँगा तुम्हें..
दिल का सौदा कभी करो ना इसी बहाने से कुछ वक्त दो ना
लगी थी आस तुम आओगे मेरी आवाज सुनकर तड़प उठोगे मेरी हालत देखकर मुस्कुराओगे ख्व़ाब बुनकर। ऐसा कुछ ना हुआ तू ना बदला….. जैसा था…
उन्हें खुद लिखना आता है तब भी भाव नहीं समझते हैं भावनाओं से परे हैं हाव भाव नहीं समझते हैं लाख कोशिश करें हम उनके…
एक जमाना था दो सुकून की रोटी थीं और पीने को पानी। तब काँटों के बिस्तर पर भी नींद आ जाती थी। रात जल्दी होती…
आधारहीन भावनाओं का कोई अस्तित्व नहीं होता… आग में कूदी हुई किस्मत का कोई वर्चस्व नहीं होता…
कुछ लोगों से बात करके बहुत सुकून मिलता है एक अजब सा एहसास होता है दिल में मचलता है और मिलने को तड़प उठता है…
Part -2 ❤ तुमने मेरे दिल को और रुलाया है मुझे प्रेम का पुष्प मसलकर आसमान से गिराया है मुझे। तुमने रूहानी इश्क को जिस्मानी…
Part-1❤ आज सबूत माँग रहे हो कि तुमसे कब, कहाँ और कैसे प्यार किया ?? पहचानने से इनकार कर दिया मुझे ! और कर ही…
बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का। खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।
दिल थक जाता है जब रूठने वाला जिद पे अड़ जाता है कितनी भी कोशिश कर लो हाथ ना आता है बस दूर चला जाता…
❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ रात मायूस करती है और सुबह उम्मीद जगाती है❤
एक वक्त था… जब तुम मेरे लिए रातों को जगा करते थे मैं कुछ भी कहती, तुम हंसकर सब सुन लेते थे। मुझसे ज्यादा तड़प…
तुम मेरे ही और सिर्फ मेरे ही रहो मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो। पीछे चलो कदमों के निशान ढूंढते हुए दे दो अपनी…
गरीब मैं नहीं तू है जिसका दिल पैसे के लिए धड़कता है और प्रेम के लिये धड़कना भूल जाता है ।
आज एक अजनबी से मुलाकात हुई उसकी एक मुस्कान हृदय की शिराओं को झकझोर गई…. अन्दर एक प्रकाश का ज्वार फूटा! लौ जली, उसकी चितवन…
अरे! कभी तो तारीफ़ कर दे इस नामाकूल की! हर दफ़ा क्या तू मजम्मत ही करता रहेगा!!!!
कितनी कोशिश की सबके दिल में समाने की वक्त आने पर सभी ने जुर्रत की मुँह छुपाने की
हम जीते हैं जिन पलों में वो लम्हे कैद नहीं हो पाते
My heart always knows Value of your love ❤
बदन पर साड़ी लपेटकर कितनी सुंदर लग रही है ये हुस्न देखकर दामिनी भी नतमस्तक हो रही है
तुम मेरे ही और सिर्फ मेरे ही रहो मैने कब चाहा कि ऐसा ही हो। पीछे चलो कदमों के निशान ढूंढते हुए दे दो अपनी…
आज सबूत माँग रहे हो कि तुमसे कब, कहाँ और कैसे प्यार किया ?? पहचानने से इनकार कर दिया मुझे ! और कर ही क्या…
उदास रहा है चेहरा उदास रहेगा तुझे खो कर के ये कभी ना हँसेगा
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